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कविता

वह जो दयालु है

संजय चतुर्वेदी


वह सब-कुछ जानने वाला
वह रहम करने वाला परम-पिता
गर्दन का, छुरी का, गोली और खून का
पंख और पिंजरे का, खाल और जूते का
दावतों, अनाथों का, तड़प और स्वाद का
घोंसले में चिंचियाते बच्चों की प्रतीक्षा का
पतीले से आती मसालों की गंध का
वही है पालनकर्ता सारी सृष्टि का
वो जो है सर्वशक्तिमान बैठा हम सब के ऊपर
रक्षक एक-एक प्राण का
क्यों रह जाए संकोच मन में फिर वध के लिए
जब ले लिया उसका नाम

वह जो दयालु है
बदल देता है हत्या को हलाल में।

 


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